माली समाज की उत्पत्ति
2. "माली समाज की उत्पत्ति"
"माली समाज की उत्पत्ति" के बारे में यूं तो कभी एक राय नहीं निकली फिर भी विभिन्न ग्रंथो अथवा लेखा - जोगा रखने वाले राव, भाट, जग्गा, बडवा, कवी भट्ट, ब्रम्ह भट्ट वकंजर आदि से प्राप्त जानकारी के अनुसार तमाम माली बन्धु भगवान शंकर माँ पार्वती के मानस पुत्र है ! एक कथा के अनुसार दुनिया की उत्पत्ति के समय ही एक बार माँ पार्वती ने भगवान शंकर से एक सुन्दर बाग़ बनाने की हट कर ली तब अनंत चौदस के दिन भगवान शंकर ने अपने शरीर के मेल से पुतला बनाकर उसमे प्राण फूंके ! यही माली समाज का आदि पुरुष मनन्दा कहलाया ! इसी तरह माँ पार्वती ने एक सुन्दर कन्या को रूप प्रदान किया जो आदि कन्या सेजा कहलायी ! तत्पश्चात इन्हें स्वर्ण और रजत से निर्मित औजार कस्सी, कुदाली आदि देकर एक सुन्दर बाग़ के निर्माण का कार्य सोंपा! मनन्दा और सेजा ने दिन रात मेहनत कर निश्चित समय में एक खुबसूरत बाग़ बना दिया जो भगवान शंकर और पार्वती की कल्पना सेभी बेहतर बना था! भगवान शंकर और पार्वती इस खुबसूरत बाग़ को देख कर बहुत प्रसन्न हुये ! तब भगवान शंकर ने कहा आज से तुम्हे माली के रूप में पहचाना जायेगा ! इस तरह दोनों का आपस में विवाह कराकर इस पृथ्वी लोक में अपना काम संभालने को कहा ! आगे चलकर उनके एक पुत्री और बारह पुत्र हुये ! जिनके नाम अनुसार कुल साड़े बारह ( पुत्री की सन्तानों को आधी जाति में गिना जाता हैं और पुत्रों की सन्तानों को बारह जातियों में गिना जाता हैं ) तरह के माली जाति में विभक्त हो गए ! अत: माली समाज को इस उपलक्ष पर अनंत चौदस के दिन माली जयंती अर्थात मनन्दा जयंती मनानी हैं !
"माली समाज की उत्पत्ति" के बारे में यूं तो कभी एक राय नहीं निकली फिर भी विभिन्न ग्रंथो अथवा लेखा - जोगा रखने वाले राव, भाट, जग्गा, बडवा, कवी भट्ट, ब्रम्ह भट्ट वकंजर आदि से प्राप्त जानकारी के अनुसार तमाम माली बन्धु भगवान शंकर माँ पार्वती के मानस पुत्र है ! एक कथा के अनुसार दुनिया की उत्पत्ति के समय ही एक बार माँ पार्वती ने भगवान शंकर से एक सुन्दर बाग़ बनाने की हट कर ली तब अनंत चौदस के दिन भगवान शंकर ने अपने शरीर के मेल से पुतला बनाकर उसमे प्राण फूंके ! यही माली समाज का आदि पुरुष मनन्दा कहलाया ! इसी तरह माँ पार्वती ने एक सुन्दर कन्या को रूप प्रदान किया जो आदि कन्या सेजा कहलायी ! तत्पश्चात इन्हें स्वर्ण और रजत से निर्मित औजार कस्सी, कुदाली आदि देकर एक सुन्दर बाग़ के निर्माण का कार्य सोंपा! मनन्दा और सेजा ने दिन रात मेहनत कर निश्चित समय में एक खुबसूरत बाग़ बना दिया जो भगवान शंकर और पार्वती की कल्पना सेभी बेहतर बना था! भगवान शंकर और पार्वती इस खुबसूरत बाग़ को देख कर बहुत प्रसन्न हुये ! तब भगवान शंकर ने कहा आज से तुम्हे माली के रूप में पहचाना जायेगा ! इस तरह दोनों का आपस में विवाह कराकर इस पृथ्वी लोक में अपना काम संभालने को कहा ! आगे चलकर उनके एक पुत्री और बारह पुत्र हुये ! जिनके नाम अनुसार कुल साड़े बारह ( पुत्री की सन्तानों को आधी जाति में गिना जाता हैं और पुत्रों की सन्तानों को बारह जातियों में गिना जाता हैं ) तरह के माली जाति में विभक्त हो गए ! अत: माली समाज को इस उपलक्ष पर अनंत चौदस के दिन माली जयंती अर्थात मनन्दा जयंती मनानी हैं !
प्रसाद:- फल, खीर, सामूहिक भोज(बजट के अनुसार ) !
स्थान:- समाज का मंदिर, धर्मशाला, नोहरा, समाज की स्कूल !
[नोट : मनन्दा जयंती पर्तिवर्ष अनंत चौदस( रक्षाबंधन के एक महीने बाद ) मनाई जाएगी !]
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नोट- यहां पढ़ी जाने वाली माली समाज के बारे में जानकारियां मेरे द्वारा इन्टरनेट, सोशल मीडिया, वेबसाइटों से अलग अलग माली समाज के बारे में जानकारियां पढ़ी उनको कॉफी पेस्ट करके मेरे द्वारा एक जगह संग्रहीत किया है।
इसमें कोई भुल व गलत जानकारी शामिल हो तो क्षमा प्रार्थी हूं...
धन्यवादपरमेश्वर दुगारिया, कुरज
https://www.facebook.com/parmeshwarkumarsainikuraj
माली होकर माली का,
आप सभी सम्मान करो!
सभी माली एक हमारे,
मत उसका नुकसान करो!
चाहे माली कोई भी हो,
मत उसका अपमान करो!
जो ग़रीब हो, अपना माली,
धन देकर धनवान करो!
हो गरीब माली की बेटी,
मिलकर कन्या दान करो!
*अगर माली लड़े चुनाव,*
*शत प्रतिशत मतदान करो!*
हो बीमार कोई भी माली ,
उसे रक्त का दान करो!
बिन घर के कोई मिले माली,
उसका खड़ा मकान करो!
मामला अदालत में गर उसका,
बिना फीस के काम करो!
अगर माली दिखता भूखा,
भोजन का इंतजाम करो!
अगर माली की हो फाईल,
शीघ्र काम श्रीमान करो!
माली की लटकी हो राशि,
शीघ्र आप भुगतान करो!
माली को अगर कोई सताये,
उसकी आप पहचान करो!
अगर जरूरत हो माली को,
घर जाकर श्रमदान करो!
अगर मुसीबत में हो माली,
फौरन मदद का काम करो!
अगर माली दिखे वस्त्र बिना,
उसे अंग वस्त्र का दान करो!
अगर माली दिखे उदास,
खुश करने का काम करो!
अगर माली घर पर आये,
राम राम बोल सम्मान करो!
अगर फोन पर बात करते,
पहले राम राम करो!
अपने से हो बड़ा माली,
उसको आप प्रणाम करो!
हो गरीब माली का बबूआ,
उसकी मदद तमाम करो!
बेटा हो गरीब माली का पढ़ता,
कापी पुस्तक दान करो!
ईश्वर ने अगर तुम्हें दिया,
आप खुद पर गर्व करो।
*जय श्री राम, जय माली
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